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मत कहो नाजुक सी कली

 मत कहो नाजुक सी कली  लड़कियों को हमेशा नाजुक सी कली क्यों समझा जाता है ?  क्यों ? लड़कियों को फूल से कम्पेयर किया ‌ जाता है ‌, माना‌ कि हमें मासूम - सी, नाजुक -सी बना दिया है जमाने ने ,पर उस नाजुक -सी कली‌ को तोड़ने का हक क्या हर किसी को है । ‌ जब चाहे जमाना खेल जाता है उनके ज जज़्बातों से ,कभी उनके सपनों को तोड़ा जाता है,तो कभी उनके हौसलों को, कभी उनके दिल से खेला जाता है, तो कभी उनके जिस्म से। तो कभी - कभी उन्हें भी खत्म करने की कोशिश की जाती है। फिर क्यों लड़कियों को नाजुक -सी कली‌ कहा जाता है ? इतना सब होने के बाद‌ भी एक फूल टूटकर बिखर जाता है। फिर भी ये लड़कियां हिम्मत कर मजबूती के साथ उठ खड़ी हो जाती है  मत कहो ना लड़कियों को नाजुक -सी फूल की कली‌। आकांक्षा रैकवार सागर मध्यप्रदेश      ‌

वक्त पर सुनना जरूरी है

 वक्त पर सुनना जरूरी है    सुन लो ना वक्त रहते वो दर्द भरी चीखें क्युकी न जाने कब ये चीखे, सिसकियों में बदल जाए और फिर मौत में    सुन लो ना जो तुम्हे अपना समझ कर दर्द बता रहा है वरना एक दिन वही दर्द दवाई के पर्चे पर मिले  और फिर डेथ सर्टिफिकेट पर । सुन लो उस की भी जिस ने हमेशा तुम्हारी हर बात सुनी है  और आज अपनी लड़ाई अकेले लड़ रहा है । थम लो उसका हाथ जिस ने मुश्किल हालातो में तुम्हे संभाला है। आकांक्षा रैकवार सागर मध्यप्रदेश